2 वर्षीय बीएड कोर्स हुआ बंद अब अध्यापक बनने के लिए नया कोर्स शुरू

शिक्षक बनने का सपना देख रहे उम्मीदवारों के लिए एक बड़ा झटका लगा है सरकार की तरफ से 2 वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को बंद कर दिया गया है इसकी जगह नया कोर्स शुरू किया गया है।

B.ed कोर्स को बंद कर दिया गया है जी हां दोस्तों आप सही सुन रहे हैं 2 वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को बंद कर दिया गया है आज हम आपको इसके बारे में डिटेल से जानकारी देंगे कई स्टूडेंट को कंफ्यूज है कि कौन सा कोर्स बंद किया गया है और कौन सा नया कोर्स लागू होगा इसके बारे में हम आपको डिटेल में नीचे बता रहे हैं।


4 वर्षीय बीएड कोर्स को इंटीग्रेटेड कोर्स भी कहा जाता है इसमें स्नातक के साथ में बीएड पुरी की जाती है जो केवल 4 वर्ष का होता है यदि आप स्नातक के साथ में बीएड कर रहे हैं तो आप 4 साल में इसे कर सकते हैं और स्नातक के अलावा पहले बीएड होती थी तो उसमें 5 साल लगते थे।

सबसे पहले तो हम आपको बता दे की स्पेशल बीएड का 2 वर्षीय कोर्स होता है जिसे सरकार की तरफ से बंद कर दिया गया है आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्ष 2020 की नई शिक्षा नीति के तहत केवल 4 वर्षीय बीएड कोर्स को ही मान्यता दी गई है इसलिए अब सभी कॉलेज 2 वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को बंद करने जा रही है।

आईसीआई के सचिव के द्वारा यह जानकारी दी गई उन्होंने बताया कि अब केवल 4 वर्षीय बीएड कोर्स को ही मान्यता दी गई है आपकी जानकारी के लिए हम आपको यह भी बता दें कि वर्तमान में आरसीए के द्वारा 2 वर्ष की स्पेशल बीएड कोर्स की मानता नहीं दी जा रही है पूरे देश में 1000 ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटी है जहां पर यह कोर्स करवाया जाता है आईसीआई सचिव के अनुसार अब वर्ष 2024-25 में सिर्फ 4 वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स को मान्यता दी जाएगी।

स्पेशल बीएड कोर्स क्या होता है यह जानना आपके लिए जरूरी है क्योंकि इसे जानने के बाद ही आपको पता चलेगा कि कौनसी बीएड को बंद किया जा रहा है कौन सी b.ed को शुरू रखा जा रहा है एक नॉर्मल बीएड होती है दूसरा स्पेशल बेबीएड होती है स्पेशल बीएड कोर्स में दिव्यांग बच्चों को पढ़ने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है क्योंकि दिव्यांग बच्चों को नॉर्मल तरीके से नहीं पढ़ाया जाता इसके लिए एक विशेष कोर्स को करवाया जाता है जिससे स्पेशल बीएड नाम दिया गया है।

वही नॉर्मल बीएड एक बीएड होती है जिसमें हम सभी बच्चों को बढ़ा सकते हैं नई शिक्षा नीति के तहत 4 वर्ष का b.ed कर दिया गया है जिसमें आप बीए बीएससी के साथ भी b.ed कर सकते हैं इसमें 1 साल आपका बेकार होने से बच जाता है।

6 साल से 1 महीने भी कम हुई बच्चे की उम्र तो भी नही मिलेगा एडमिसन, स्कूलों के नए नियमों ने बढ़ाई पैरेंट्स की टेन्शन

ऑक्सी होम सोसायटी में रहने वाली अनुष्का शर्मा इस बार अपनी पांच साल की बेटी के पहली में एडमिशन कराने के लिए स्कूल दर स्कूल भटक रही हैं। लेकिन हर जगह निराश होकर वापस आना पड़ा। 

कई स्कूलों में सीटें भरी हुई हैं, और कहीं कहा जाता है कि बेटी अभी छह साल की नहीं हुई है, इसलिए प्रेप में ही उसका एडमिशन कराना चाहिए। ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए पता नहीं है। वह पहली बार उसे दोबारा पढ़ाना नहीं चाहतीं, और उसे पहली बार नहीं मिल रहा है।


वह अब दिल्ली के विद्यालयों में भी संपर्क कर रही हैं, बाद में गाजियाबाद में भी। इस बार पैरंट्स, जो अपने बच्चे का नए एडमिशन करवा रहे हैं, का हाल है। इसलिए नई शिक्षा नीति। इस वर्ष नए नियम सख्ती से लागू किए गए हैं, जिसमें बच्चे को पहली क्लास में 6 प्लस ही होना चाहिए। ऐसे में स्कूलों को अब एक बड़ी चुनौती भी सामने आ गई है।

पैरंट्स कन्फ्यूज, स्कूल करवा रहे काउंसलिंग

इस बार नई पॉलिसी के तहत एडमिशन से कई पैरंट्स परेशान हैं। वे स्कूलों में घूम रहे हैं। जिन लोगों का बच्चा दो या तीन महीने के गैप पर पहली कक्षा में नहीं आ रहा है, वे बहुत परेशान हैं। ऐसे में, लगभग सभी स्कूलों में अभी तक नर्सरी में दाखिला लेने के लिए सीटें नहीं हैं। वहाँ पैरंट्स काउंसलिंग होती है। 

सन वैली इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रीति गोयल ने बताया कि स्कूल में अभी भी प्रवेश जारी है। साथ ही अभिभावकों का काउसंलिंग किया जाता है। क्योंकि नियम बदलते रहते हैं यह सभी को पता नहीं है।

सेंट टेरेसा स्कूल की प्रिंसिपल रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि कई अभिभावक ऐज में अंतर होने पर भी विश्वास नहीं कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि बच्चे को स्कूल में दाखिला दिया जाए। कई तो खरीद भी रहे हैं। ऐसे में, उन्हें समझाने के लिए काउंसलिंग सेशन होंगे। वनस्थली पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल मृदनलिनी ने कहा कि बहुत से अभिभावक आते हैं और पाठ्यक्रम और पैटर्न की जानकारी लेते हैं।

एडमिशन के लिए अभिभावक कई स्कूलों में जाते हैं, लेकिन वर्तमान में सभी स्कूलों में एक ही नियम हैं, इसलिए काउंसलिंग करके समझाया गया है। कई स्कूल प्रबंधन ने बताया कि अभिभावक कक्षा को फिर से शुरू करना नहीं चाहते, जिससे वे स्कूल प्रबंधन से लड़ने को भी तैयार हैं। दूसरे शिक्षण संस्थानों का हवाला दे रहे हैं।

नियम का पालन करना होगा

बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन शिकायतों पर निगरानी भी होगी। ताकि बच्चों पर जरूरत से अधिक पढ़ाई का बोझ न पड़े, ये नियम सोच-समझकर बनाए गए हैं। इन्हें फॉलो करना चाहिए।

यह एज क्रिटेरिया नर्सरी है: तीन प्लस एलकेजी, चार प्लस यूकेजी, पांच प्लस पहली कक्षा, छह प्लस

नोट: बच्चे की एज 31 मार्च 2024 तक जोड़ी जाएगी।

2020 में नवीनतम शिक्षा नीति लागू

2020 में नई शिक्षा नीति की योजना लागू हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने प्रवेश के समय न्यूनतम आयु के लिए निर्देश भी जारी किए। प्रदेश सरकार ने भी अप्रैल में इस संबंध में शासनादेश लागू किया था। इसके अनुसार, कक्षा एक में प्रवेश करने की आयु छह वर्ष थी। 

शासनादेश अप्रैल में लागू हुआ था, इसलिए उससे पहले हो चुके प्रवेश में आयु को लेकर राहत दी गई थी. इसके बाद से, छह साल से कम आयु के बच्चों को कक्षा एक में दाखिला नहीं देने के कड़े आदेश दिए गए।

सिल्वर लाइन प्रैस्टीज स्कूल गाजियाबाद के चेयरमैन सुभाष जैन ने बताया कि उस बच्चे की उम्र छह वर्ष है और वह अप्रैल के बाद कक्षा एक में प्रवेश करेगा। एचपी आवर्स स्कूल फॉर गर्ल्स के प्रबंधक प्रद्युम्मन जैन ने कहा कि स्कूल शासनादेश का पालन कर रहा है।

UP SUPER TET 2023 : यूपी में नए आयोग से नई शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी

UP SUPER TET 2023 Notification Latest News

उत्तर प्रदेश नई शिक्षा सेवा आयोग के माध्यम से प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा इसके साथ ही उत्तर प्रदेश टीजीटी पीजीटी व असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती भी नए आयोग के माध्यम से की जाएगी बता दें उत्तर प्रदेश की सभी भर्तियां अब इस नए शिक्षा सेवा आयोग के माध्यम से की जाएगी। 


वर्तमान में डेढ़ हजार से अधिक मुकदमे शिक्षक भर्तियों को लेकर न्यायालय में विचाराधीन है अब इन सभी मुकदमों की पैरवी नए शिक्षा सेवा आयोग द्वारा की जाएगी।

बता दिन बीते दिनों उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग चयन बोर्ड द्वारा चल और अचल संपत्तियों से संबंधित पूरी रिपोर्ट शासन स्तर को भेज दी गई है क्योंकि उत्तर प्रदेश उत्तर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को शिक्षा आयोग में ही समाहित किया जाना है अब पुराने अयोग की सारी समस्याओं का समाधान नई शिक्षा सेवा आयोग द्वारा ही किया जाएगा और अब यह सभी जिम्मेदारियां नई शिक्षा सेवा आयोग के पास होगी।

UP SUPER TET Notification 2023

उत्तर प्रदेश नई शिक्षा सेवा आयोग के माध्यम से प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा लेकिन अभी तक नए आयोग के गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है जैसे ही नए आए हो के गठन की प्रक्रिया पूरी होगी और नए आयोग में सदस्य और अध्यक्ष पद पर नियुक्ति हो जाएगी उसके तुरंत बाद ही नई शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का इंतजार समाप्त हो जाएगा और साथ ही जो भर्तियां अब तक अटकी हुई हैं उनको भी नए आयोग द्वारा जल्द से जल्द पूरा कराया जाएगा।

नए साल में जारी हो सकता है शिक्षक भर्ती का विज्ञापन

शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थी पिछले चार वर्षो से इंतजार कर रहे हैं तो जल्द ही उनका इंतजार समाप्त हो सकता है नई शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद नई शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ होने की पूरी संभावना है डीएलएड और टेट पास अभ्यर्थी लगातार शिक्षक भर्ती विज्ञापन निकालने की मांग कर रहे हैं और उनकी इस मांग को जल्दी सरकार द्वारा पूरा किया जा सकता है।

"पायलट प्रोजेक्ट" : शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की उपस्थिति विद्यालय समयावधि में किसी भी समय अंकित की जा सकेगी।

बेसिक शिक्षा परिषद उप्र के अधीन संचालित स्कूलों में उपलब्ध कराए जा रहे टैबलेट से प्रेरणा तकनीकि फ्रेमवर्क का उपस्थिति मॉड्यूल (फेस रिकॉग्निशन आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली) लागू किया जा रहा है।


इसके प्रथम चरण में जनपद- उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर व बाराबंकी में "पायलट प्रोजेक्ट" के रूप में लागू किया जा रहा है।

शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की उपस्थिति प्रतिदिन विद्यालय खुलने व बंद होने के समय अंकित होगी। “पायलट प्रोजेक्ट" के अन्तर्गत शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की उपस्थिति विद्यालय समयावधि में किसी भी समय अंकित की जा सकेगी।

1% से भी कम की दिलचस्पी,Online हाजिरी असफल होता नजर आ रहा पायलट प्रोजेक्ट

यूपी में शिक्षकों के लिए आनलाइन हाजिरी का पायलट प्रोजेक्ट असफल होता नज़र आ रहा है। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की तमाम तरह की चेतावनी व सख्ती के बावजूद एक प्रतिशत से भी कम शिक्षकों ने ही प्रयोग के तौर पर शुरू इस व्यवस्था को आत्मसात करने की कोशिश की है।


पहली दिसम्बर से यह व्यवस्था प्रदेश के सभी जिलों में लागू होनी थी लेकिन पायलट प्रोजेक्ट का ही सड़क से सदन तक इतना विरोध हुआ कि बेसिक शिक्षा विभाग इसे आगे नहीं बढ़ा पाया। 

इस बीच स्कूल शिक्षा महानिदेशक के तबादले के बाद फिलहाल यह व्यवस्था ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है। जुलाई में ही इस व्यवस्था को लागू किये जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। 20 नवम्बर को इसे प्रदेश के सात जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू कर दिया गया। इसके तहत कुल 12 रजिस्टरों का सरलीकरण किया गया। तकनीक आधारित डिजिटल माध्यम से अभ्यस्त किए जाने के लिए प्रेरणा पोर्टल पर डिजिटल रजिस्टर नाम से नया मॉड्यूल विकसित किया गया।

इन 12 डिजिटल रजिस्टरों में से एक रजिस्टर जो शिक्षकों की उपस्थिति से जुड़ा है, को शिक्षकों ने कतई पसंद नहीं किया। पहले दिन से ही इसका विरोध शुरू हो गया। इसके खिलाफ प्रदेश व्यापी आन्दोलन हुए और विधान परिषद में शिक्षक दल के नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया।

लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव तथा श्रावस्ती में पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। कुछ दिनों बाद लखनऊ को बदल कर बाराबंकी में यह प्रयोग शुरू किया गया लेकिन बाद में फिर लखनऊ में ही इसे जारी रखने का निर्णय किया गया।


समस्त BSA, BEO, DC, Mentors, प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकगण कृपया ध्यान दें:- ऑनलाइन गोष्ठी दिनांक 04 दिसंबर, 2023 समय : 11:00 AM, यूट्यूब लिंक

 

वर्तमान शैक्षिक सत्र को आदर्श सत्र बनाने तथा निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों की समयबद्ध प्राप्ति हेतु बेसिक शिक्षा विभाग के सभी हितधारकों के साथ प्रमुख सचिव महोदय, बेसिक शिक्षा की अध्यक्षता में राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा महत्वपूर्ण ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।


 तत्सम्बन्धी विवरण निम्नलिखित है :

➡️ ऑनलाइन गोष्ठी दिनांक : 04 दिसंबर, 2023

➡️ समय : 11:00 AM

अतः उक्त ऑनलाइन गोष्ठी में जनपद के समस्त प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण, शिक्षा मित्र, अनुदेशक, शिक्षक संकुल, ARP, SRG, DC, BEO, डायट मेंटर एवं BSA की समय से प्रतिभागिता अनिवार्य है। तत्सम्बन्धी एजेंडा बिंदु पत्र में उल्लिखित है। कृपया समस्त हितधारकों की ससमय प्रतिभागिता सुनिश्चित करायें ।


आज्ञा से,

महानिदेशक,

स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश