उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने नियमावली के अनुसार वरिष्ठता सूची बनाने के दिए आदेश

प्रयागराज :  परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति का रास्ता तकरीबन एक दशक बाद साफ हो गया है। पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को समय से पहले पदोन्नति दे दी गई थी।


 हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था निरस्त कर दी और प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ने पदोन्नत अधिकारियों-कर्मचारियों को वापस उनके मूल पद पर भेज दिया था लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में पदोन्नत शिक्षकों को रिवर्ट नहीं किया गया। इसके चलते वरिष्ठता का विवाद बना रहा और 2015 के बाद से पदोन्नति रुकी हुई थी।

वरिष्ठता मौलिक नियुक्त से हो या नए कैडर में प्रमोशन की तिथि से इस पर भी विवाद था। सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के जिन शिक्षकों की पदोन्नति एससी/एसटी शिक्षकों के बाद हुई उन्होंने इसे लेकर कोर्ट में याचिकाएं की थीं। 

इस मामले में दायर 36 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 11 मार्च को अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अनुसार वरिष्ठता का निर्धारण सेवा कैडर में मौलिक नियुक्ति से करने के आदेश दिए हैं।

प्रोन्नति में टीईटी बाधा नहीं बनेगा, वर्ष 2010 से पूर्व तैनात सहायक शिक्षकों को राहत

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नत करने के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त उन सहायक अध्यापकों की जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नति का रास्ता साफ हो गया है, जिनकी नियुक्ति 23 अगस्त 2010 से पूर्व हुई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शिवकुमार पांडेय व दर्जनों अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है।


प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापकों ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि राज्य सरकार ने उनकी प्राथमिक विद्यालयों से उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रोन्नति इस आधार पर रोक दी है कि वे सीनियर टीईटी उत्तीर्ण नहीं हैं जबकि ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार व एनसीटीई से जवाब तलब किया था। एनसीटीई की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के क्लाज चार में स्पष्ट है कि इस अधिसूचना के जारी होने से पूर्व नियुक्त अध्यापकों को न्यूनतम अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।

 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में एनसीटीई ने सहायक अध्यापकों के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रोन्नति प्राप्त करने के लिए सीनियर टेट उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन यह आदेश अधिसूचना जारी होने की तिथि के बाद से प्रभावी माना जाएगा। इस स्थिति में अधिसूचना जारी होने की तिथि से पूर्व नियुक्त अध्यापकों पर यह शर्त लागू नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं है। इसके बाद नियुक्त अध्यापकों को प्रोन्नति देने से पूर्व देखा जाए कि टीईटी उत्तीर्ण हैं या नहीं और छह माह में प्रोन्नति की प्रक्रिया पूरी करें।

प्रोन्नति में टीईटी बाधा नहीं बनेगा

परिषदीय शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ

प्रयागराज। परिषदीय शिक्षकों की पदोन्नति में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय से छह साल बाद पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर हर साल बैठक में वादा तो करते थे लेकिन इसका हल नहीं निकला था।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार की

याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ। उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं था। वर्ष 2018 में जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया। इसमें याचिकाकर्ता भी शामिल हुआ। इस प्रक्रिया में याचिकाकर्ता का चयन कर अनुमोदन के लिए संबंधित बीएसए को भेजा गया। बीएसए ने यह कहते हुए अनुमोदन देने से इंकार किया कि याची टीईटी पास नहीं है।

 याचिका में इस आदेश को चुनौती दी गई। तर्क दिया गया कि टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ। राज्य सरकार ने 2012 में प्रभावी किया, जबकि याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है और प्रधानाचार्य के रूप में प्रोन्नति के लिए पांच वर्ष के अनुभव की योग्यता भी रखता है

वर्षों बाद जिले के अंदर समायोजन की होगी कवायद, 30 सितंबर 2023 की छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों का होगा समायोजन

परिषदीय विद्यालयों में वर्षों बाद शिक्षकों के जिले में समायोजन की आस जगी है। 30 सितंबर 2023 की छात्र संख्या के आधार पर इस वर्ष मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों के एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण किए जाएंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने एक आदेश जारी कर जनपद के भीतर समायोजन व स्थानांतरण की पूरी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।

पिछले करीब 20 वर्षों से बेसिक शिक्षा विभाग में जिले के भीतर समायोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। इस कारण विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों का बेतरतीब आवंटन की शिकायत होती रहती है। 

 शिक्षकों के गैर जनपद स्थानांतरण तथा उनके सेवानिवृत्ति के पश्चात विभिन्न विद्यालय या तो अन्य शिक्षकों को संबद्ध करके या केवल शिक्षामित्र के सहारे संचालित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिले के भीतर समायोजन होने से जहां बंद और एकल स्कूलों में नए शिक्षक मिल सकेंगे वहीं छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षक मिलने से बच्चों को गुणवत्ता पर शिक्षा भी मिल सकेगी।

शहर के आसपास के विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुपात में बहुत अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं दूरदराज के गांवों में छात्र-छात्राओं की संख्या तो अधिक है, लेकिन शिक्षक नाममात्र के हैं। इसी व्यवस्था को सही करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से समायोजन प्रक्रिया शुरू की जा रही है। 

सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र की तैयारी के क्रम में यह समायोजन प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है। सचिव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह समायोजन से पूर्व मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों के सारे विवरण को शुद्ध करा लें जिससे कि मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से समायोजन प्रक्रिया पूरी हो सके।





परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों का जिले के अंदर होगा समायोजन, 30 सितंबर 2023 को यू-डायस पर उपलब्ध छात्र संख्या के अनुसार विवरण मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट करने का निर्देश 

लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों का जिले के अंदर समायोजन किया जाएगा ताकि सभी विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात ठीक किया जा सके। इसके लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी है।

परिषदीय के कुछ विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है तो कुछ जगह पर काफी कम या एकल शिक्षक वाले विद्यालय हैं। नए सत्र में एक अप्रैल से शुरू हो रहे सत्र से पहले विभाग शिक्षक छात्र अनुपात को ध्यान में रखते हुए जिले के अंदर शिक्षकों का समायोजन करेगा।

 इसके तहत सभी बीएसए को निर्देश दिया गया है कि 30 सितंबर 2023 को यू-डायस पर उपलब्ध छात्र संख्या के अनुसार विवरण मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट करें।

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने कहा है कि छात्रों के साथ शिक्षकों की भी नियुक्ति संबंधी पूरी जानकारी 25 मार्च तक पोर्टल पर अपडेट की जाए। माना जा रहा है कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वहीं गर्मी की छुट्टियों में एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले भी संभावित हैं क्योंकि इसकी सभी आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। 

परिषदीय विद्यालयों की परीक्षाएं अब 20 मार्च से, इस सत्र में टाइम टेबल को लेकर तीसरा बदलाव

प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय/मान्यता प्राप्त कक्षा एक से आठ तक के विद्यालयों की शैक्षिक सत्र 2023-2024 की वार्षिक परीक्षा का संशोधित कार्यक्रम सचिव प्रताप सिंह बघेल ने जारी किया है। संशोधित परीक्षा के मुताबिक अब यह परीक्षा 16 मार्च की बजाय 20 मार्च से शुरू होगी और समापन 27 मार्च को होगा।

परीक्षा दो पालियों में सुबह 9:15 बजे से 11:45 तक तथा दोपहर 12:15 से 2:45 बजे तक कराई जाएगी। कक्षा एक की परीक्षा मौखिक होगी। कक्षा दो व तीन में परीक्षा लिखित एवं मौखिक होगी। लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 50-50 प्रतिशत रखा जाएगा। कक्षा चार व पांच की भी परीक्षा लिखित एवं मौखिक होगी, लेकिन लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 70 एवं 30 प्रतिशत होगा।

कक्षा छह से आठ तक की परीक्षा लिखित होगी। लिखित वार्षिक परीक्षा 50 अंकों की होगी, जिसमें बहुविकल्पीय, अति लघुउत्तरीय, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होंगे। मौखिक परीक्षा की अवधि प्रधानाध्यापक निर्धारित करेंगे। कक्षा पांच की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन संकुल (न्याय पंचायत) स्तर पर अन्य विद्यालय के अध्यापकों से कराया जाएगा। कक्षा आठ की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन विकास खंड स्तर पर अन्य संकुल के अध्यापकों से कराने के निर्देश परिषद सचिव ने दिए हैं। परीक्षाफल के आधार पर रिपोर्ट कार्ड बनाकर छात्र-छात्राओं को 31 मार्च को वितरित किया जाएगा।